कोरोना वायरस महामारी को देखते हुये बंद करवाये जाये सीमेंट प्लांट :अभिषेक पाण्डेय


मध्यप्रदेश/मैहर
संवाददाता-,यसवंत तिवारी 
 कोरोना वायरस महामारी के संक्रामण भय से जूझ रहे लोग,मैहर के सीमेंट प्लांटो के मैनेजमेंट द्वारा क्यो कोई व्यवस्था नही की गई ऐसे कई गंभीर सवालों को जन्म देती है मैहर क्षेत्र में स्थापित सीमेंट प्लांट को तो शुरू कर दिया गया है लेकिन शासन के द्वारा जो गाइड लाइन तय की गई है उन मानकों का कतई पालन नही किया जाता है इन सीमेंट मालिको के द्वारा, जिसमे सबसे महत्वपूर्ण है सीमेंट का परिवहन। सीमेंट के परिवहन के लिए दूर दराज से वाहन चलकर आते है और इन वाहनों को चलाने वाले तो आखिर इंसान ही है जो कोरोना वायरस के वाहक हो सकते है ये वाहन चालक कहा से आये कहा कहा गए इसकी पूर्ण जानकारी होनी चाहिये साथ ही इन चालको का पूर्णतः स्वास्थ्य परीक्षण करवाना चाहिये जो की प्रतिदिन स्वंभ नहीं है ।इसलिये इसमें प्रतिबंध लगाना चाहिये।


खुश है ट्रांसपोर्ट के मालिक


मैहर क्षेत्र में स्थापित तीन बड़े उद्योगों के पुनः संचालित होने से ट्रांसपोर्ट का धंधा चलने लगा जिससे इन ट्रांसपोर्ट के मालिक खुश नजर आ रहे है लेकिन ये नही जानते है कि जाने अनजाने मै ये अपने और अपने परिवार व समाज के लिये कौन सा काल ल रहे है ये तो इनको तब पता चलेगा जब मैहर क्षेत्र के अंदर इन माल वाहक ट्रकों से एक भी कोरोना वाहक मैहर के किसी आम आदमी को संक्रमित करेगा तब मैहर क्षेत्र में कैसा हाहाकर मचेगा ये समझ से परे है।


दान के एवज में परमिशन


मैहर में तीनों बड़े उद्योगों में से एक KJS ने अपनी दरियादिली दिखाई और PM रिलीफ फंड में 5 करोड़ का दान दिया तो वही CM रिलीफ फंड में भी एक करोड़ का दान दिया ये अतिशयोक्ति ही कहा जा सकता है कि जब तक ये दान नही दिया गया था तब तक प्लांटों को चलाने की भी अनुमति नही थी जैसे ही मुद्रा का तिलक शासन को लगाया गया वैसे ही सीमेंट उद्योग को शुरू करने का आदेश भी जारी हो गया जबकि सही मायने में ये सीमेंट खपत कहा होगी किसी को मालूम हो तो हमे भी बता दीजिएगा क्योकि निर्माण कार्य बंद है एक्का दुक्का अगर निर्माण हो भी रहे है तो क्या लाखो टन सीमेंट कहा खपत होगी।


ऊंट के मुह में जीरा


मैहर क्षेत्र में तीन बड़े सीमेंट उद्योग लगे है  बाहरी लोगों का भी निवास है  उद्योगो के आस पास  कई गांव लगे हुए है लेकिन कोरोना जैसे महामारी से बचाव के लिए किसी भी गांव में इन उद्योगों द्वारा कोई भी इंतेजाम नही  किये गये, मदद के लिए सिर्फ प्रशासन ही आगे आ रहा है. क्या इन कंपनियों द्वारा कोई व्यवस्था सिर्फ कागजो पर की  जाती है? अगर इन सीमेंट प्लांट के जिम्मेदार अपने प्रभावित क्षेत्रों में ध्यान दे या कोरोना जांच, बचाव,सुझाव,मास्क वितरित करे तो निश्चित ही क्षेत्र के गरीब वर्ग को बहुत बड़ी मदद मिलेगी लेकिन ऐसा कुछ देखने को नही मिल रहा है प्रशासन के साथ ऐसी बड़ी बड़ी संस्था अगर साथ आये तो ऐसी महामारी के  बचाव के लिए इंतेजाम आसानी और सरलता से हो जायेगे,और इसका परिणाम भी सबके लिए मददगार साबित होगा,  वैसे तो अल्ट्राटेक  सीमेंट द्वारा तो कागजो पर करोड़ो का खर्च दिखाया जाता है।


मध्यप्रदेश समास्या समाधान समिति के अध्यक्ष अभिषेक पाण्डेय ने इन सीमेंट प्लांटों को शुरू करने में आपत्ति जताई है क्योकि लॉक डाउन में आम जनता गरीब वर्ग बेहद परेशान है अधिकतर अनपढ़ गरीब वर्ग बाहर मजदूरी करता है और आज कई दिनों तक लॉक डाउन में फसें होने के कारण घर की ओर इन्ही कम्पनी के मालवाहक पर बैठकर आ रहे है ।लेकिन ये वाहन किसकी परिमिशन से सतना जिले की सीमा में प्रवेश कर रहे है जगह जगह अलर्ट रहने वाले प्रशासन कैसा आलसी हो गया है कि पूरा सिस्टम बेखबर हो गया जिले में आने वालों को जिला प्रशासन वेरिफाइड करें ऐसे ग्रामीण क्षेत्र के लोगो का कहना है हर रोज  मैहर में एक ट्रक से सैकड़ो  लोगो का आना होता है ।जिस तरीक़े से कटनी शहडोल व्यौहारी रीवा मै कोरोना पाजटिव पाया गया है जिससे मैहर को कभी भी ख़तरा हो सकता है ।इसलिये समास्या समाधान समिति के अध्यक्ष अभिषेक पाण्डेय ने एसडीएम मैहर से अपील की तत्काल मामले को सज्ञान में लेकर यथा उचित निर्णय ले।